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Wednesday, February 9, 2011

उत्तराखंड की पावन भूमी है कण्वाश्रम-आईये कण्वाश्रम भ्रमण पर चलेँ

मालन नदी के तट पर बसे कण्वाश्रम की पावन भूमी उत्तराखंड मे सबसे पावन भूमी है , भरत की जन्मस्थली जिनके नाम पर अपने देश का नाम भारत पङा । चारो तरफ से पहाङो से घिरा कण्वाश्रम की खूबसूरती का बयान करना अत्यन्त कठीन है

उत्तराखंड के पौङी गढवाल जिले के कोटद्वार के मोटाढाक क्षेत्र मे मालिनी नदी के तट पर कण्वाश्रम स्थित है । जहा हर वर्ष बसंत पंचमी के उपलक्ष्य मे कण्वाश्रम महोत्सव का आयोजन होता है , अब यह महोत्सव हर वर्ष करीबन पाँच दिन का होता है ,जिसमे गढवाल की संस्कृती ,भाषा ,विचार को बङे सरलता से पेस किया जाता है । अगर आप यहाँ घूमने आना चाहते हैँ तो बङा ही आसान है ,अगर आप हरिद्वार के रास्ते आए तो लालढाग के जंगलो के रास्ते आप पहले मोटाढाक और फिर कण्वाश्रम पहुच सकते हैँ । लेकिन अगर आप नजीबाबाद के रास्ते आ रहे हैँ तो आप सिधे कोटद्वार पहुच जाए ,फिर आप 7 किलोमीटर की यात्रा कर दूर्गापुर या मोटाढाक पहुच जाए फिर आप कण्वाश्रम तक पहुच सकते हैँ


कण्वाश्रम महोत्सव 2011/Kandvashram Mahotsv 2011-- इस बार के आयोजीत कण्वाश्रम महोत्सव मे गढवाल के लोक गायकोँ द्वारा पेस गीतो पर लोग झुमने को मजबूर हो गए , यहाँ तक की उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डाँ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने भी इस महोत्सव मे सिरक्कत की ,कल आखिरी दिन उत्तराखंड के खेल मंत्री खजान दास भी यहा पहुचे ,स्थानिय विधायक श्री शैलेन्द्र सिँह रावत ,और हजारो की संख्या मे लोग कण्वाश्रम महोत्सव देखने आए । हजारो रुपये के इनाम भी मेला समिती द्वारा वितरीत किए गए ।

Tuesday, July 20, 2010

देश-दूनिया कि खूबसूरत जानकारी पायेँ और साझा करेँ - Welcome to all blogger

दोस्तो नमस्कार ! हमारे देश मे अक्सर कहा जाता है कि घर आया मेहमान भगवान का स्वरुप होता है । हमारे देश के प्रत्येक राज्य ,जिले और गांव कि अपनी एक अलग ही कहानी है उनका इतिहास काफी पुराना है । कही खूबसूरत वादियां तो कही रेगिस्तान और कही मैदानी इलाके , आप जहाँ रहते है कुछ तो खाश होगा वहां और सबसे अलग , हो सकता है कि आप जहाँ रहते होँ वहा के खूबसूरत प्राकृतिक नजारो से दूनिया अनजान हो । तो प्लिज आप हमारे इस ब्लाँग पर जरुर

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